जिस राह मे हम थे बढे चले, उस राह मे तेज हवाएं थी;
हम गिरे, उठे और फिर से चले, तूफानों से लड़ना सीख लिया.
थी कठिन डगर लम्बा रास्ता, पर हमने जीना सीख लिया.
चाहा गुलाब को छूना जब, मेरे हाथ छुभे थे कांटे भी;
हमने सीखा एक और सबब, काटों से बचना सीख लिया.
थी कठिन डगर लम्बा रास्ता, पर हमने जीना सीख लिया.
मेरे पांव पढे अन्गारों पर, अन्गारों ने हमे जलाया भी;
चल कर इन् आग की राहों पर, अन्गारों मे जीना सीख लिया.
थी कठिन डगर लम्बा रास्ता, पर हमने जीना सीख लिया.
Attempted to write poetry after very very long time. Hope you guys like it.
Saturday, December 18, 2010
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